Everything about bhairav kavach
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कथयामि श्रृणु प्राज्ञ बटुककवचं शुभम्।
वामपार्श्वे समानीय शोभितां वरकामिनीम् ॥ ६॥
साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।
किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं होता, सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है।
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लज्जाबीजं तथा विद्यान्मुक्तिदं परिकीर्तितम् ॥ ९॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः
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नीलग्रीवमुदारभूषणशतं शीतांशुचूडोज्ज्वलं
शङ्खवर्णद्वयो ब्रह्मा बटुकश्चन्द्रशेखरः ॥ ५॥